Home News अटल सुरंग बन कर तैयार प्रधानमंत्री ने किया उदघाटन

अटल सुरंग बन कर तैयार प्रधानमंत्री ने किया उदघाटन

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया अटल सुरंग का उद्घाटन

चीन मन मसोस कर खून के आंसू पी रहा है जल्दी ही उम्मीद के अनुसार नकारात्मक प्रतिक्रिया आने वाली है

आज दिनांक 3 अक्टूबर 2020 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने हिमाचल प्रदेश में स्थित रोहतांग दर्रे के निकट मनाली और लेह को जोड़ने वाली सुरंग का उदघाटन किया. इन दो जगहों के बीच की दूरी को 46 किमी से कम करके 9 किमी कर दिया और साथ ही इसकी यात्रा के समय को चार से पांच घंटे कम कर दी गई है.

आज इसके उदघाटन से पूर्व रक्षा मंत्री ने इस सुरंग का एक दिवसीय निरक्षण भी किया ताकि प्रधानमन्त्री को इसकी बेहतर जानकारी दे पाए. वही इस सुरंग के निर्माण कार्य की शुरआत तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपयी ने वर्ष 2002 में 3 जून को इस सुरंग के दक्षिण छोर पर स्थित सिरे पर सड़क निर्माण का शिलान्यास करके किया था.

यह सुरंग रणनीतिक द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और लगभग हर तरह के मौसम में  वाहनों के बेरोक टोक आवाजाही सुनिश्चित करने वाली यह ऑल वेदर अटल सुरंग बन कर अब तैयार है. सेना के लिहाज से भी यह सुरंग सामरिक है. और चीन के साथ होने वाले तनाव के दौर में इसका बनना भारत के लिए शुभ संकेत है.

इस सुरंग का नामकरण स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है. और इसे राजनीति के लिहाज से कि अब भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस की हर योजना और निर्माण का नामकरण एक ही परिवार के नाम पर रखे जाने को लेकर एक प्रहार के रूप में देखा जा रहा है.

भारी बर्फबारी और ख़राब मौसम के चलते यह मार्ग तकरीबन 6 माह तक हर साल बाधित रहता था उसका समाधान अटल सुरंग ने कर दिया है. यह सुरंग समुद्र तल से तकरीबन 3000 मीटर ऊपर बनी है. जिसे हम 10,000 हजार फीट की ऊंचाई मान सकते हैं. इसे हिमालय की पीर पंजाल रेंज में दुर्गम पहाडियों के बीच अत्याधुनिक स्पेसिफिकेशंस के साथ निर्मित किया गया.

अटल सुरंग का दक्षिण सिरा मनाली से 25 किलोमीटर दूर और 3060 मीटर की उंचाई पर स्थित है वही इसका उत्तरी सिरा लाहौल वेल्ली के निकट टेलिंग सिसु गाँव के निकट है.आकर में अटल सुंरग एक घोड़े के नाल सरीखी बन पड़ी है वही अटल सुरंग की लागत 3300 करोड़ तक आंकी गई है.

बीआरओ ने इस सुरंग के निर्माण कार्य में काम में आने वाली बाधाओं जैसे भूगर्भीय, भूभाग और मौसम का डटकर सामना किया था और इसका कठिनतम फेज 587 मीटर का सेरी नाला फाल्ट जोन था जिसे वर्ष 2017 में दोनों छोर से जोड़ कर सफलता अर्जित की थी.

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